देश की प्रमुख जवाहरात व्यावसायिक शख्सियतों में से एक राजीव अरोड़ा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। एक कला पारखी और कलाकारों को प्रोत्साहन देने की भावना से ओत-प्रोत राजीव अरोड़ा का जज्बा देखते ही बनता है। उनके बनाए हुए डिजाइनों और आभूषणों को न केवल देश-प्रदेश में सराहा गया है, बल्कि सात समंदर पार भी उनकी कला के दीवाने मौजूद हैं। देश की विरासत और अमूल्य निधि कला को लुप्त होने से बचाने तथा उसे नए आकार-कलेवर में ढालकर युगों-युगों तक सहेजने की दिशा में अग्रसर राजीव अरोड़ा ने इस क्षेत्र के पुनरूत्थान का ध्येय संकल्प लिया है। इस महती कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने देश-प्रदेश के दौरे किए तथा विलुप्त हो रहे पुराने आभूषणों का संग्रह करना शुरू किया। इसके बाद इन आभूषणों का प्राचीनता और पारंपरिकता को बरकरार रखते हुए उन्हें नवीनता भी प्रदान की। खास बात यह भी है कि इस क्षेत्र से जुड़े कारीगरों और आभूषण निर्माताओं को भी इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
आभूषण कला को बढ़ावा देने के लिए ही उन्होंने आम्रपाली की स्थापना की, ताकि कला और कलाप्रेमियों के लिए एक साझा मंच तैयार हो सके। आम्रपाली ने शुरुआत में चांदी के आभूषणों का निर्यात करना शुरू किया। देखते ही देखते यह पौधा आभूषण निर्यात का वट वृक्ष बन गया। आज पुरातन आभूषणों को नए रंग-रूप में गढ़ना और लीक से हटकर काम करना आम्रपाली की पहचान है। राजीव अरोड़ा की इस कला को देश-दुनिया की कई संस्थाएं अनेक सम्मान-पुरस्कारों से नवाज चुकी हैं।